समाजिक जनगणना में भाग लें

संत रुपलाल महाराज

legengs post
23 April, 2025

संत रुपलाल महाराज

श्री संत रुपलाल महाराज की जीवनी

भारतभूमि संतों की भूमि है। भारत के सभी प्रांतों में कई महान संत हुए हैं। उन्होंने भक्ति का मार्ग सिखाया और समाज को ज्ञान दिया। महाराष्ट्र भी महान संतों के निवास से पावन पवित्र भूमि है। महाराष्ट्र की महिमा हैं संतों की परंपरा संत रूपलाल महाराज संत सावता माली, संत नामदेव से लेकर संत गाडगेबाबा-तुकडोजी महाराज तक गौरवशाली परंपरा है। यह एक पुण्यनगरी है जिसे विदर्भ के अमरावती जिले के श्री क्षेत्र अंजनगांव सुर्जी नगर के कर्म योगी संत रूपलाल महाराज ने पवित्र किया था । अंजनगांव शहर धार्मिक दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि इसमें शानदार श्री विठ्ठल रुक्मिणी मंदिर और प्रतिष्ठित, ग्राम देवता वैराग्यमूर्ति श्री संत रूपलाल महाराज हैं। श्री संत रूपलाल महाराज का जन्म जलगाँव खान्देश जिले के जामनेर तालुका के पहूर गाँव में हुआ था। रूपलाल महाराज का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था, उनकी माता का नाम कासाबाई और पिता का नाम शामजी था। संत रूपलाल महाराज नागबेलपान खेती करते थे, धार्मिक और सामाजिक कार्यों में रुचि रखने वाले संत रूपलाल महाराज बचपन से ही काम और महत्व को जानते थे। गाडगे बाबा का क्षेत्र में हुआ कीर्तन के बाद संत गाडगे बाबा संत रूपलाल महाराज के नागबेलपान खेत पहुंचे। काफी देर तक संत गाडगे बाबा और रूपलाल महाराज के बीच संवाद होता रहा रूपलाल महाराज ने गाडगे बाबा से भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का उपदेश लिया। रूपलाल बाबा गाडगे बाबा को गुरु मानते थे। संत गाडगे बाबा से इस मुलाकात के बाद, रूपलाल महाराज ने पंढरपुर के लिए प्रस्थान किया, प्रपंच और घरदार को त्याग दिया और सांसारिक जीवन को त्याग दिया, 12 वर्षों तक उन्होंने हिमालय पर जाकर तपस्या की, तपस्या के बाद उन्हें आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त हुआ। लौटकर संत तुकाराम के अभंग के गायन में मग्न हो जाते थे। आध्यात्मिकता और भक्ति के मार्ग की शुरुआत करने वाले संत रूपलाल महाराज ने अपने शुरुआती दिनों का अधिकांश समय चारधाम यात्राओं, ध्यान और तपस्या में बिताया वे महाराष्ट्र के खान्देश-विदर्भ के ऐसे कई गांवों में रहे।संत रूपलाल महाराज 1971 में अंजनगांव और अकोट के क्षेत्र में आए और फिर अंजनगांव सुरजी पहुंचे। वह सुबह से ही हाथ में झाड़ू लेकर गांव की सफाई करते थे और लोगों को स्वच्छता का महत्व समझाते थे।संत रूपलाल महाराज ने भक्तों को लेकर अंजनगाव में फैसला किया 1976 में भव्य श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर की स्थापना की। अंजनगांव संत रूपलाल महाराज की कर्मभूमि और तपोभूमि है। संत रूपलाल महाराज, एक महान कर्मयोगी संत सतपुरुष, का श्री क्षेत्र अंजनगांव में विठ्ठल मंदिर के महाद्वार पर देह त्याग दिया | संत रूपलाल महाराज चैत्र शुद्ध पंचमी, शक 1916 (16 अप्रैल, 1994 को) अंजनगांव में ईश्वरचरणो में विलीन हो गए ।  संत रूपलाल महाराज ने दुनिया को अलविदा कहा और उनका मंदिर बनाया गया है।

संकलनकर्ता - निलेश ढगे, अंजनगांव सुर्जी


logo

आल इंडिया बारी सेवक संघ

रजि० कार्यालय-बी०-१७२, एम० आर०, गोमती ग्रीन, नियर पुलिस मुख्यालय, सरसवां, अर्जुनगंज, लखनऊ।

संपर्क करें

  • info@barisamaj.org
  • +91 7991691177(Whatsapp)
  • barisamaj.org
  • B-712 Emar Gomti Green, Sarsawan Arjun ganj Lucknow.